Monday, August 24, 2009

मौसम

दूर आसमान में दिखते
बादल के दो टुकरे
यथावत- अपनी जगह पे अर्सों से

खिड़कियों से धीमे-२ आती किरणे
रोज- सुबह, दोपहर- अनवरत
न आग की तपिश, न नीर सी शीतल

कभी-२ बर्फ गिरती है
पर वो भी-गुनगुनी सी

अब मौसम नही होते!