Friday, June 27, 2008

मेरा प्यार

उमस सी होती है आज कल रात के वक्त
अकेला मन-बेचैन सा हो जाता हूँ।

बिस्तर से उठता हूँ और-
अपने कमरे की दीवार को कैनवास समझ,
एक चित्र बनता हूँ ।

मन चंचल हो जाता है
अपने भावनाओं के शब्दकोष से बड़े जतन से -
कुछ शब्द चुन श्रंगार करता हूँ उसका
फ़िर अपनी चेतना से -रंग भरता हूँ उसमें।

एक तस्वीर बनती है
मैं उसी से प्यार करता हूँ

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